भरण-पोषण मामलों में संवेदनशीलता दिखाएं, ज्यादातर पीड़ित महिलाएं, इलाहाबाद हाईकोर्ट का परिवार न्यायालय को आदेश

भरण-पोषण मामलों में संवेदनशीलता दिखाएं, ज्यादातर पीड़ित महिलाएं, इलाहाबाद हाईकोर्ट का परिवार न्यायालय को आदेश

Allahabad High Court Order

Allahabad High Court Order

प्रयागराज। Allahabad High Court Order: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 125 (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 144) के अंतर्गत दायर भरण-पोषण संबंधी आवेदनों पर शीघ्र निर्णय लेने की आवश्यकता बताई है।

कहा है कि अदालतों को ऐसे मामलों में अधिक संवेदनशीलता और तत्परता से कार्य करना चाहिए क्योंकि ज्यादातर केसेज में ‘पीड़ित’ महिलाएं (पत्नी) ही होती हैं। न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने गौतमबुद्ध नगर की पारिवारिक न्यायालय को अंजलि सिंह (याची) के भरण-पोषण संबंधी आवेदन पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देते हुए उक्त टिप्पणी की।

याची का केस 2023 से लंबित है। एकल न्यायाधीश के समक्ष याची के वकील ने कहा कि विपक्षी संख्या दो (पति) के असहयोग के कारण मामला लंबे समय से लंबित है। याची ने कहा कि वह गरीब महिला हैं और उन्हें अपने पति से कोई भरण-पोषण भत्ता नहीं मिल रहा है। इसलिए संबंधित न्यायालय को मामले के शीघ्र निपटारे के लिए निर्देश दिया जाए।

एकल पीठ ने कहा, ‘ये ऐसे मामले हैं जिनका शीघ्र निपटारा आवश्यक है क्योंकि धारा 125 सीआरपीसी के अंतर्गत लगभग सभी मामलों में पीड़ित महिला ही होती है। परिवार न्यायालय को उन मामलों में अधिक संवेदनशील और सतर्क रहना चाहिए जहां पीड़ित पत्नी है और अपने पति से भरण-पोषण (गुजारा भत्ता) के लिए लड़ रही है।’

कोर्ट ने याची की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए संबंधित पारिवारिक न्यायालय को आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से छह महीने के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया है।